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तवांग झड़प के मायने - डॉ. श्रीश कुमार पाठक

“चीनी सरकार ने अपने शांतिपूर्ण टोटकों से हमें छलने की कोशिश की है।”  (सरदार वल्लभ भाई पटेल, 1950)  ***  9 दिसंबर की अलसुबह, अरुणाचल प्रदेश के तवांग टाउन से करीब 25 किमी दूर, ऊपर पूर्वी तवांग (यांगजी क्षेत्र) के उस हिस्से में जहाँ सामान्यतया मानव आबादी नहीं होती, चीनी सेना व उनके  गश्ती दल के तकरीबन 300 से 500 सैनिकों की कोशिश थी कि वास्तविक नियंत्रण रेखा की  वस्तुस्थिति में परिवर्तन किया जाए। लुंगरू चारागाह के तकरीबन उत्तर में (मोगा-चुना परिक्षेत्र) पहले से ही मुस्तैद भारतीय सैनिकों ने चीनियों को चौंकाते हुए उन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)’ पीछे खदेड़ दिया। दोनों ओर के सैनिकों की इस झड़प में बंदूकें नहीं चलीं लेकिन कंटीले तार लपेटे लाठियों, डंडों और पत्थरों का इस्तेमाल हुआ। दोनों ओर के ही सैनिक घायल हुए, लेकिन अंततः भारतीय सैनिकों ने नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति बदलने की चीनी मंसूबे को असफल कर दिया।   9 दिसंबर की यह खबर 13 दिसम्बर तक सामने आयी। संसद में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस घटना के बारे में देश को प्रामाणिक रूप से अवगत कराते हुए वक्तव्...